CLOSE TO ME

My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................

Saturday, April 7, 2012

आँखों के शब्द, ज़ुबां की चुप्पी.........

तुमसे दबी ज़ुबां से कहा,
फिर होले से मुस्कुरा कर भी कहा!
नज़रें तुम्हारी ओर उठा कर कहा,
दांतों तले ऊँगली दबा कर कहा!
सूरज की हर किरण ने कहा,
बदल की इक-इक बूँद ने कहा!
तुम समझ गए!!

फिर इक दिन बस तुम्हारी ओर देखा,
सोचा था समझ जाओगे!
पर तुम्हारी आँखें पढ़ नहीं पाईं,
मेरी आँखों की भाषा!
तुम अजीब आँखों से देखते रहे,
अजनबी से ताकते रहे!
तुम्हारी आँखों की ज़ुबां मैं समझ गयी!!

समझ गयी,
जो तुम कह कर नहीं समझा पाए!
मेरी चुप्पी नहीं समझ पाए तुम,
तुम्हारी आँखों से निकले शब्द चीरते गए!
रेत और पानी से थे तुम्हारे शब्द और मेरी चुप्पी,
न मिलना था, न मिल ही पाए!
तुम्हारे शब्द बहा ले गए मेरे प्यार को,
मेरी चुप्पी में साँस घुट गयी तुम्हारे प्यार की!!

शायद मेरी आँखों का बोलना समझ नहीं पाए तुम,
तुम्हारी आँखों की चुप्पी ने तार-तार कर दिया जिगर को!
अब चाक गिरेबाँ लिए भटकते हैं दर-बदर,
कि दीदार-ए यार हो तो पूछें,
क्या अभी भी अनजान हैं आप,
हमारी चुप्पी की भाषा समझने से??????
April 7, 2012 at 1.54 A.M.

Tuesday, April 3, 2012

प्रेम के लिए....

pyar ko koi bhi naam dena kya zaroori hai/ kya pyar ka ehsaas bhar hi kaafi nahin? pyar ke ehsaas se aatma tript aur mann bhaav-vibhor ho jaata hai/ khushkismat hain jinhein pyar ka ehsaas huya/ baaki to sab murda hain/ pyar huya to jeene ka ehsaas huya/ nahin mil paaye tum to kya/ tumse pyar is shart par nahin kiya tha/ ki tum bhi chaho mujhe/ maine tumhein chaha kyonki tumhein chahna mera naseeb tha/ tumne jo nahin kaha/ tumhaari khaamoshi ne keh diya/ tumhaare shabdon ki zubaan nahin chahiye thi/ bas tumhaare hone ka ehasaas hi kaafi tha/ mere prem ke liye.......... प्यार को कोई भी नाम देना क्या ज़रूरी है?
क्या प्यार का एहसास भर ही काफी नहीं?
प्यार के एहसास से आत्मा तृप्त और मन भाव-विभोर हो जाता है
खुशकिस्मत हैं जिन्हें प्यार का एहसास हुआ
बाकी तो सब मुर्दा हैं
प्यार हुआ तो जीने का एहसास हुआ
नहीं मिल पाए तुम तो क्या
तुमसे प्यार इस शर्त पर नहीं किया था
कि तुम भी चाहो मुझे
मैंने तुम्हें चाहा क्योंकि तुम्हें चाहना मेरा नसीब था
तुमने जो नहीं कहा
तुम्हारी खामोशी ने कह दिया
तुम्हारे शब्दों की जुबां नहीं चाहिए थी
बस तुम्हारे होने का एहसास ही काफी था
मेरे प्रेम के लिए....
April 3, 2012 at 8.22 P.M.

Monday, April 2, 2012

बहती रही गंगा......

भागीरथी गंगा को धरती पर उतार लाये,
पापियों का उद्धार करने के लिए!
गंगा की उदारता तो देखो,
सबके पाप अपने में समेट,
बस बहती रही!!
खोजने से भी नहीं मिला,
उसकी छाती पर कोई घाव!
अपनी गन्दगी डालते रहे उस में,
रिसते नासूर धोते रहे!
गंगा तब भी बहती रही!!
अपने सपनों की उम्मीद लिए,
गंगा में डुबकी लगाते,
मोक्ष माँगते,
अपने पैरों तले,
गंगा की पावन लहरों को रोंदते,
आगे बढ़ते रहे,
गंगा तब भी बहती रही!!
नदियाँ भी मिलीं उसमें,
और नाले भी,
गंगा का पानी,
तब भी निर्मल ही रहा!
सबकी पीड़ा को अपने अंतर्मन में समेटती,
गंगा तब भी बहती रही!!
उफ़ न की, कोई आवाज़ नहीं,
बस गंगा बहती रही!!!!
April 2, 2012 at 9.59 P.M.

Friday, March 30, 2012

दीवारों से बाहर.....

तुम तक पहुँचने की हर कोशिश की,
बहुत आवाजें लगाईं,
खिडकियों से झाँका,
दरवाज़े खटखटाए,
तुमने तो जैसे सारे रस्ते ही बंद कर दिए
देना तो चाहा था अथाह प्यार तुम्हें,
तुमने उसकी थाह नहीं जानी
तुम अपनी राह चल पड़े
जिस राह पर मेरा साथ न था
बंद दरवाजों के पीछे
तुमने छुपा लिया खुद को
पहुँच जाती तुम तक
तो मिल जाते न हम
और यह नफरत की दीवार भी नहीं रहती
हमारे बीच!!!!!
March 30, 2012 at 2.55 P.M.
Ispired by Maya Mrig's post----नफरतें छोड़ आया....प्‍यार मिला नहीं...इस रास्‍ते पर कभी आगे, कभी पीछे चला ...बार बार......तुमने भी तो की होंगी यात्राएं....पहुंचे तो तुम भी नहीं....मुझ तक...

Saturday, March 10, 2012

BODY AND SOUL....

My body bears the ravages of your lust
Signs of your violence have scarred the face
The soul lies twisted
The heart battered
With every breath I draw in pain
Every pore bears the animalistic stamp of your patriarchal ruthlessness
Bearing the hieroglyphics of your atrocities
I walk away in silence.
But, my silence is loaded
With the pain you have put me through.
I am finding my voice now,
Ready to stand before you as the woman I am.
Do not turn your face away from my nakedness now,
You responsible for everything I go through.
Do not hang your head in shame
And try to cover my body.
Because you will never have a sheet, clean enough,
To cover my body.
Nor will you ever have words,
Which could act ad balm for my tortured soul.
I will walk with my head held high,
Looking through your ruthlessness,
Knowing fully well that you could never violate ME.
March 10, 2012 at 2.37 A.M.

Tuesday, February 14, 2012

Valentine....

तुम्हारे होने के एह्सास से,
मेरी दुनिया है!
खुश रहो तुम सदा,
हाथ उठा यही दुआ मांगती हूँ!!
तुम हो तो जीवन है,
वरना सब नीरस है!!!
-आज valentine के दिन क्या तोहफा दूँ तुम्हे
तुमने तो दामन भर दिया खुशियों से मेरा!!!
मैं दुआ के सिवा कुछ दे नहीं सकती!!!
आसमाँ के तारों जितनी हों खुशियाँ तुम्हारी,
समुंदर सी गहराई हो उन में,
धरती की तरह विशाल हो उनका आँचल,
दर्द की परछाईं भी न छू पाए तुम्हे!!
मुबारक हो तुम्हे आज valentine का यह दिन
और प्यार से भरा रहे दामन सदा......
February 14, 2012 at 12. 43 A.M.

Monday, February 13, 2012

दर्पण...

तुम्हारे न होने से ही
चटखता है मन में कुछ!
दर्पण क्या देखूं?
अपना चेहरा तो देख लेता था,
तुम्हारी आँखों में!
अब तुम नहीं,
तो खुद को देखने का मन भी नहीं!
गिर के चटख भी जाए दर्पण अब तो क्या?
तुम्हारे न होने के एहसास के सामने,
दर्पण के टूटने का गम नहीं!!!
February 13, 2012 at 4.33 P.M.
(inspired by Maya Mrig's status-----कुछ चटखता सा है.....नहीं तुम कहीं नहीं हो.....बच्‍चे हैं.....दर्पण गिरा दिया होगा.....)